Thursday, November 22, 2012

जिंदगानी

चलती जाये चालती जाये, जिंदगानी रे
गम मिले या खुशी, मुस्कुराना रे

आज का सुरज उगा चला, चलते चलते डूब गया
दिन अभी था रात हुई, खत्म कहानी रे

आज था जो वह कल हुआ, एक गुजरा पल हुआ
यादो की जंगल में खोया, भूला किस्सा रे

कितनी यादे कितने बाते, चलती जाए अपनी राहे
रोये किस पे किस बहाने, रुका न कोई रे

चलते चलते जिंदगानी, बीत जाये रे
कुछ रहे न बाकी बस, गीत सुहाने रे

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